फाइलुन फाइलुन फाइलुन फाइलुन
अपनी एक गजल
प्यार का कब ये खाली खजाना हुआ
छोङकर फिर मुझे क्यूं रवाना हुआ।
नजर तुमसे मिली भूल पाती नहीं
देख तुझको न पाई जमाना हुआ।
इश्क का रोग जाने है कब से मुझे
तुम मिले तो हां केवल बताना हुआ।
दिल के दुश्मन पे जब प्यार आने लगा
सूफियाना सा कोई तराना हुआ।
ख्वाहिशें आजकल बेवफा हो गई
ढूंढ 'पूनम' कहां पर ठिकाना हुआ।
डाँ पूनम गुजरानी
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