समृद्ध कहे
जाने वाले गुजरात मे पिछले एक महीने से टूटी-फूटी सड़कें,बिगड़ी कानून
व्यवस्था,अनियमित बिजली, स्कूल-कॉलेजों का अभाव, विकास दर में पिछड़ा, बन्द
होती फैक्ट्रियां,बच्चों व महिलाओं में कुपोषण, दलितों पर उत्पीड़न,
पाटीदारों के साथ अन्याय आदि जुमलों की बौछार इन कांग्रेसियों तथा इनके
समर्थकों की तिकड़ी ने कर डाली। ताज्जुब यह है कि उतरप्रदेश का हुलिया
बिगाड़ने वाले अखिलेश यादव, भारत तेरे टूकड़े होंगे कि विकृत राग अलापने वाला
कन्हैया, घर-घर से अफ़ज़ल निकलेगा तथा भारतीय सेना को रेपिस्ट कहने वाला
सलमान निजामी तथा विभिन्न तथाकथित सेक्युलरों की जमात ने गुजरात मे डेरा
डाल कर इस समृद्ध प्रदेश का हुलिया बिगाड़ने का हर सम्भव प्रयास किया। राहुल
गांधी व अशोक गहलोत, कपिल सिब्बल,मनीष तिवारी, राजीव शुक्ला, तथा कांग्रेस
के प्रवक्ताओं प्रियंका चतुर्वेदी, अखिलेश प्रताप सिंह, राजीव त्यागी,
रागिनी नायक, चरणजीत सिंह सापरा आदि दर्जनों कांग्रेसी गुजरात के विकास
मॉडल की इस तरह धज्जियां उड़ा रहे थे मानों वे गुजरात का नही बल्कि
माया-अखिलेश व कांग्रेस द्वारा विकृत किये गए उतरप्रदेश के ढांचे का वर्णन
कर रहे हो ? ताज्जुब यह भी हैं कि बेहतरीन व गड्ढा मुक्त चमचमाती सड़कों की
बदौलत ये मोदी व भाजपा विरोधी नेता प्रत्येक मीटिंग में समय पर पहुंच पाए।
अनवरता विद्युत आपूर्ति की बदौलत इनकी मीटिंगों में माइक आदि के मामले में
खलल नही पड़ी। पानी की नियमित सप्लाई की वजह से होटलों में इनको बिना नहाए
नही रहना पड़ा। स्वच्छता पूर्ण वातावरण होने से मच्छरों ने राहुल आदि
कांग्रेसी नेताओं की नींद में खलल नही डाला। बेहतरीन कानून व्यवस्था के
चलते इनकी एक भी मीटिंग में हो-हल्ला नही हो पाया। किसी एक भी महिला ने
इनसे यह नही कहा कि महिलाएं इस राज्य में असुरक्षित हैं। राहुल गांधी सूरत
के टेक्सटाइल्स व डायमंड कारखानों में गए तो उनके स्वयं के उदगार थे कि
'चाइना का अगर कोई मुकाबला कर सकता हैं तो वो सूरत कर सकता है'। राहुल
दक्षिण गुजरात, मध्य गुजरात, उतर गुजरात व गुजरात के अधिकांश शहरों-कस्बों
में गए, जिन रास्तों से गुजरे वहां उन्हें पक्की सड़कें, हरे-भरे
खेत-खलिहान, पक्के मकान, घरों के लगे झूलों में झूलते ग्रामीण, घरों में
लगे एयरकंडीशनर, घरों के बाहर खड़ी आलीशान कारें, मोटर साइकिलें व ट्रेक्टर
उनके समृध्द जीवन की हकीकत बयान कर रहे थे। घरों व खेतों के आगे गाय-भैंस
आदि की भरमार भी उनके समृद्ध जीवन की गाथा गा रहे थे। राहुल जी को 2 दर्जन
से अधिक मंदिरों में पुजारियों-महंतों ने आशीष दी, शुभ भावना प्रकट की,
तिलक लगाया, शॉल-दुपट्टा प्रदान किया, फूल मालाएं पहनाई, किसी ने आपकी
सभाओं में विघ्न नही पहुंचाया, हाय-हाय नही किया, जूते नही फेंके । जिन-जिन
मार्गों से गुजरे आपको एक भी भिखारी गुजरात मे नही दिखा। उतरप्रदेश में तो
आप अनेक कलावतियों की झुग्गी झोपड़ियों में गए, वहां खाना खाया। गुजरात मे
आपको वो श्रम भी नही करना पड़ा। गुजरात मे युवतियों व महिलाओं ने गरबा नृत्य
कर अपनी परम्परागत संस्कृति से परिचित कराया। आपने गुजरात के रोड़ साइड
ढाबों, खोमचों, हाथ ठेलों आदि पर जलेबी, फाफड़ा, खमण, समोचे, यहां तक
पाव-भाजी जैसे गुजराती व्यंजनों के चटकारे लिए, रिंगणा की सब्जी व बाजरे की
रोटी तथा थेपले जैसे गुजराती थाली आरोगी, तो आखिर गुजरात के मॉडल में कहां
खराबी लगी। आपके बदजुबान नेताओं ने गुजरात के ही नही बल्कि देश के गौरव व
लोक लाडले प्रधानमंत्री जी को 'नीच' तक कह डाला। आपके युवा कांग्रेस के
अखबार ने व्यंग्य चित्र में प्रधानमंत्री जी को 'जा तूँ चाय बेच' का तंज
कसा, कोई गुजराती उतेजित नही हुआ। आपने समृद्ध गुजरात पर बदहाल अमेठी का
मूलम्मा चढ़ाना चाहा, कोई गुजराती आवेश में नही आया। गुजरात इस सम्पूर्ण
देश मे रोजगार देने में अग्रणी है तभी तो 60 लाख की आबादी वाले सूरत में 30
लाख लोग राजस्थान, उतरप्रदेश, बिहार, झारखंड, उड़ीसा, महाराष्ट्रा, पंजाब,
हरियाणा आदि प्रदेशों से आकर अपनी आजीविका अर्जित कर रहे हैं। इस गुजरात मे
आपके संसदीय क्षेत्र अमेठी के हजारो लोग रोजी रोटी प्राप्त कर रहे हैं।
बरोड़ा, अहमदाबाद, कच्छ-भुज, जामनगर, धोलका, पोरबन्दर, राजकोट, अंकलेश्वर,
भरूच, वापी आदि शहरों में मिलाकर करीब एक करोड़ लोग गुजरात के बाहर के
राज्यों से आकर अपनी आजीविका अर्जित कर रहे हैं। आखिर कुछ तो खास है
गुजरात मॉडल में, कि लाखों लोग इस सुनहरे व सौहार्द के जनक प्रदेश को अपनी
कर्म भूमि बनाए हुए हैं। पिछले एक माह की अवधि में गुजरात का दौरा करते हुए
आपने इस प्रदेश की समृद्धि देखी। आदर्श संस्कृति के दर्शन किये। लहलहाते
खेत-खलिहान देखें। धमधमाती इंडस्ट्रीज देखी। फिर क्या कारण हैं कि आप इस
समृद्ध गुजरात के श्रेष्ठ मॉडल को बदनाम करने पर तुले हुए हो....
◆गणपत भंसाली
Ganpatbhansalijasol@gmail.com
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