Wednesday 13 December 2017

क्या राहुल गाँधी की स्थिति अभिमन्यु जैसी तो नहीं - डॉक्टर अरविन्द जैन भोपाल

नोट - विद्रोही आवाज समाचार पत्र की एनरोइड ऐप अपने मोबाइल में प्ले स्टोर से नीचे दिए लिंक से या प्ले स्टोर में vidrohi awaz सर्च https://goo.gl/CR1JfP डाउनलोड करे 
--------------------------------------------------------------------
वैसे कहा जाता हैं की कौरव सौ थे तो कमजोर थे ,पांडव पांच थे तो उनसे बलवान थे और कृष्ण अकेले थे तो सबसे बलवान थे. हर युग में ऐसी ही व्यवस्था थी जैसे आज हैं ,क्योकि मानव में वे सब अच्छी और बुरी प्रवत्तियाँ होती हैं जिससे वह भला बुरा समझा /पहचाना जाता हैं . मनुष्य जन्म से महान नहीं होता बल्कि कर्मों से ,आचरण से महान होता हैं .समस्या आज भी वही हैं जो जिस सीढ़ी से प्रगति करता हैं उसे तोड़ देता हैं या स्वार्थपूर्ति नहोने से उससे या उनसे अलग हो जाता हैं .लोभ ,लालच ,स्वार्थ ,छल ,निंदा,प्रमाद अपेक्षाएं ,जलन के कारण मनुष्य अपनों से अलग हो जाता हैं .यहाँ तक की जिस थाली या पातळ में खाता हैं उसमे भी छेद कर देता हैं .या उससे नहीं चूकता.मनुष्य इतना स्वार्थलिप्सी होता हैं की वह निजियों से भी कन्नी काट लेता हैं .
नदी का एक किनारा दूसरे किनारे को अच्छा कहता हैं और दूसरा पहले को .नेता जिस डाली से चढ़कर ऊंचाई पाता हैं वह उसी डाल को त्याग कर दूसरे डाल पर चला जाता हैं .जब बीज रहता हैं तब उसे सहारे की जरुरत होती हैं और जब वह अंकुरित होकर जड़े जमा लेता हैं और फल प्राप्त कर लेता हैं तब वह तृप्त होकर अलग हो जाता हैं ,या उसे अपनी अंतिम परिणति मिल जाती हैं तब विलग होता हैं तब वह बीज की अवस्था को ध्यान नहीं देता .यह ठीक हैं सबको पाली बदलने का अधिकार हैं पर जिस पानी रक्त से सिंचित होकर परिपुष्ट हुए उन्हें भूलकर या भुलाकर जाना अहसान फरामोशी नहीं कही जा सकती .
यह जरूर सुना था की डूबते सूरज को कोई नहीं पूछता ,उगते सूरज को सब पूजते हैं .खास तौर पर मानव समाज में यह भरपूर देखा जाता हैं .यदि आप गरीब हैं तो सब आपसे कन्नी काटते हैं और धनवान की ओर मख्खी जैसे चिपटे रहते हैं .पर जो व्यक्ति सुख में साथी रहते हैं उन्हें दुःख में भी साथमें रहना चाहिए जिस कारण हम उन्हें निष्ठावान कहते हैं आज इसकी कमी होती जा रही हैं . सबल पर सब भरोसा करते हैं और निर्बल को त्याग देते हैं .पर सबल निर्बल समय के कारण होता हैं .जैसे कोई भी व्यक्ति बड़ा या छोटा नहीं होता पर धन होने के कारण वह बड़ा या छोटा होता हैं .पर वर्तमान में पद ,प्रतिष्ठा ,भीड़ के कारण बड़ा या छोटा माना जाता हैं और कभी कभी एक गुंडा ही समाज में भरी होता हैं .
आज राहुल गाँधी की ताजपोशी हुई ,इसके पहले वह एक योध्या बन कर संघर्षरत हैं और वह अभिमन्यु जैसा विरोधियों से लड़ रहा हैं और वह जानता हैं की चक्रव्यूह से कैसे निकलना हैं .हार जीत इतनी महत्वपूर्ण नहीं हैं जितना लड़ना . वह अकेला लड़ रहा हैं .उसकी पदोन्नति से उसके लोग शायद खुश न हो और कुछ न भी चाहते हो या मजबूरी में स्वीकार कर रहे हो पर वह अब पार्टी अध्यक्ष तो बन गया . और वह कौरवों की सेना से घिरा हुआ हैं ,कौरव की सेना में कुछ कांग्रेस पार्टी के नेता जिन्होंने कांग्रेस में रहकर अपना कद बढ़ाया और दूसरी पार्टी में पहुंचकर दूसरे या पीछे की पंक्ति के नेता की हैसियत से हाँसिया में रह रहे हैं उनको विश्वासघाती या अवसरवादी कहा जा सकता हैं और वे धोबी के कुत्ते न घर के न घाट के हो गए.
संघर्ष एक अंतहीन सुरंग होती हैं इसमें अनेक घटक काम करते हैं और सबसे महत्वपूर्ण होता हैं समय .समय किसी का एक सा नहीं होता हैं ,सब उसके पुण्य पाप पर आधारित होता हैं .आज जो सत्तानशीं हैं कल वे सड़क पर थे और कल किसका क्या होने वाला हैं कोई नहीं जानता .पर समय की नजाकत को समझकर चलना चाहिए.आज कुछ भी हो वह अभिमन्यु जैसा युध्य के मैदान में डटा हैं और विरोधी राजगद्दी में होने से बलशाली हैं और होते भी हैं पर एक बात जरूर हैं की अभिमन्यु ने जिस प्रकार महाभारत में अपनी भूमिका निभाई थी वैसी ही आज राहुल भी निभा रहा हैं .इतनी विपरीत परिस्थिति में मैदानेजंग में डटा रहना कोई बड़ी बात नहीं हैं .इस साहस को स्वीकार करना होगा और विपक्षी जो राजा हैं ,राजगद्दी पर आसीन हैं उन्हें भी युध्य में पसीना बहाना पड़ रहा हैं आखिर क्यों ?
सत्ताशीन विगत बाइस वर्षों से काबिज़ हैं तो इतना क्यों घबराना .इसका मतलब हैं की कहीं न कहीं कुछ दाल में काला हैं..अन्यथा इतना भय क्यों ? सेनापति ने अपनी और अपने वीर योद्धयायों की फौज लगा दी पर अभिमन्यु लगातार लड़ता जा रहा हैं .इसमें अभिमन्यु बलशाली लग रहा हैं .
सत्ताधारी लड़ रहे हैं छल कपट से
यह करतब अधिक दिनों तक नहीं चलेगा
काठ की हांडी एक बार चढ़ती हैं आग पर
वादों का दिवाला खुल गया हैं पिटारों से
कमजोर नहीं समझो विरोधी को
आज अकेला वह बना हैं कृष्ण
और तुमने बना ली हैं कौरवसेना
उस सेना में यदि शकुनि हैं तो
कुछ नहीं करना पड़ेगा पांडवों को
अभिमन्यु अब नहीं छला जाएगा
क्योकि उसने जन्मोत्तर वर्तमान में
सीखी चक्रव्यूह की तोड़
डॉक्टर अरविन्द जैन संस्थापक शाकाहार परिषद् भोपाल 09425006753

No comments:

Post a Comment